दीवाना Poetry (page 8)

जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है

हसरत मोहानी

किस के दिल में बसता हूँ

हसनैन आक़िब

वो मिरे शहर में आता है चला जाता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

इक क़िस्सा-ए-तवील है अफ़्साना दश्त का

हसन अज़ीज़

ये फ़ज़ा-ए-नील-गूँ ये बाल-ओ-पर काफ़ी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है

हकीम नासिर

जब से तू ने मुझे दीवाना बना रक्खा है

हकीम नासिर

जब भी जलेगी शम्अ तो परवाना आएगा

हकीम नासिर

आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा

हकीम मंज़ूर

क़ैद-ए-मज़हब की गिरफ़्तारी से छुट जाता है

हैदर अली आतिश

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

हैदर अली आतिश

हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का

हैदर अली आतिश

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से

हैदर अली आतिश

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