दिल Poetry (page 203)

महरूम-ए-तरब है दिल-ए-दिल-गीर अभी तक

हसरत मोहानी

क्या वो अब नादिम हैं अपने जौर की रूदाद से

हसरत मोहानी

क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता

हसरत मोहानी

ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की

हसरत मोहानी

कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ

हसरत मोहानी

जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया

हसरत मोहानी

हर हाल में रहा जो तिरा आसरा मुझे

हसरत मोहानी

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

फ़ैज़-ए-मोहब्बत से है क़ैद-ए-मिहन

हसरत मोहानी

दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का

हसरत मोहानी

दिल में क्या क्या हवस-ए-दीद बढ़ाई न गई

हसरत मोहानी

दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया

हसरत मोहानी

दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग

हसरत मोहानी

दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर न हुई

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

छुप के उस ने जो ख़ुद-नुमाई की

हसरत मोहानी

बुत-ए-बे-दर्द का ग़म मोनिस-ए-हिज्राँ निकला

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है

हसरत मोहानी

और भी हो गए बेगाना वो ग़फ़लत कर के

हसरत मोहानी

अक़्ल से हासिल हुई क्या क्या पशीमानी मुझे

हसरत मोहानी

अपना सा शौक़ औरों में लाएँ कहाँ से हम

हसरत मोहानी

आप ने क़द्र कुछ न की दिल की

हसरत मोहानी

नज़र उस पर फ़िदा है जिस की ताबानी नहीं जाती

हसरत कमाली

ये कौन आ गई दिल-रुबा महकी महकी

हसरत जयपुरी

शो'ला ही सही आग लगाने के लिए आ

हसरत जयपुरी

रहे है नक़्श मेरे चश्म-ओ-दिल पर यूँ तिरी सूरत

हसरत अज़ीमाबादी

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