प्रार्थना Poetry (page 21)

बन से फ़सील-ए-शहर तक कोई सवार भी नहीं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो

ग़ुलाम मौला क़लक़

राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे

ग़ुलाम मौला क़लक़

जौहर-ए-आसमाँ से क्या न हुआ

ग़ुलाम मौला क़लक़

नुमूद पाते हैं मंज़रों की शिकस्त से फ़तह के बहाने

ग़ुलाम हुसैन साजिद

साज़-ए-हयात क़ैद-ओ-सलासिल कहें किसे

ग़यास अंजुम

ख़ून-ए-दिल मुझ से तिरा रंग-ए-हिना माँगे है

ग़यास अंजुम

छुपा है कर्ब-ए-मुसलसल हवा के लहजे में

ग़यास अंजुम

आँधी में भी चराग़ मगन है सबा के साथ

ग़ौसिया ख़ान सबीन

जुनूँ में देर से ख़ुद को पुकारता हूँ मैं

ग़नी एजाज़

अंदाज़-ए-फ़िक्र अहल-ए-जहाँ का जुदा रहा

ग़नी एजाज़

उस शो'ला-रू से जब से मिरी आँख जा लगी

ग़मगीन देहलवी

न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता

ग़ालिब

जान तुम पर निसार करता हूँ

ग़ालिब

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

ग़ालिब

क़फ़स में हूँ गर अच्छा भी न जानें मेरे शेवन को

ग़ालिब

है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे

ग़ालिब

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

ग़ालिब

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

ग़ालिब

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

ग़ालिब

यहाँ कौन इस के सिवा रह गया

गौहर होशियारपुरी

उधार

फ़ुर्क़त काकोरवी

वह ज़ुल्म-ओ-सितम ढाए और मुझ से वफ़ा माँगे

फ़िरदौस गयावी

फिर कभी ये ख़ता नहीं करना

फ़िरदौस गयावी

दोस्तों की अता है ख़ामोशी

फ़िरदौस गयावी

मुझ को मारा है हर इक दर्द ओ दवा से पहले

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

सुख़न जो उस ने कहे थे गिरह से बाँध लिए

फ़ाज़िल जमीली

ये तमाशा दीदनी ठहरा मगर देखेगा कौन

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

मुद्दतों के बाद फिर कुंज-ए-हिरा रौशन हुआ

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

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