थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो

थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो

यारब कहीं वो ग़फ़लत फ़रियाद-ए-बे-कसाँ हो

या क़हर है वो शोख़ी या पर्दा है नज़र का

दिल में तो उस का घर हो और आँख से निहाँ हो

ये शोर भर रहा है फ़रियाद का जहाँ में

जो बात लब पे आई उल्टी फिरी फ़ुग़ाँ हो

किस किस दुआ को माँगें क्या क्या हवस निकालें

इक जाँ किधर किधर हो इक दिल कहाँ कहाँ हो

बरगश्तगी-ए-क़िस्मत ये छेड़ क्या निकाली

जो मुद्दआ-ए-दिल हो वो मुद्द'ई-ए-जाँ हो

मक़्दूर तक तो अपने तुझ से निभाएँगे हम

बे-जान-ओ-दिल हैं हाज़िर गर क़स्द-ए-इम्तिहाँ हो

सय्याद मैं नहीं हूँ गुम-कर्दा आशियाँ हूँ

ऐ हम-सफ़ीरो बोलो किस जा हो और कहाँ हो

ऐ आह दिल से उठ कर लब पर है क्या तअम्मुल

जा शोरिश-ए-ज़मीं हो आशोब-ए-आसमाँ हो

मिट मिट के भी हमारा इक बन रहेगा सामाँ

उजड़े अगर बहाराँ आबादी-ए-ख़िज़ाँ हो

जब बैठने पे आए ऐ ज़ोफ़ बैठ रहिए

फिर क्या है ये तकल्लुफ़ उस का ही आस्ताँ हो

तू ही रहेगी बुलबुल या मैं ही इस चमन में

या तेरा ही हो क़िस्सा या मेरी दास्ताँ हो

मेरे सुख़न में क्या है कुछ ख़ाल-ओ-ख़त बयाँ है

पर दिल से उस के पूछे जो कोई नुक्ता-दाँ हो

मेरा सलाम कहना झुक कर 'क़लक़' वही है

उस की गली में बैठा मौज़ूँ सा जो जवाँ हो

(700) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho In Hindi By Famous Poet Ghulam Maula Qalaq. Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho is written by Ghulam Maula Qalaq. Complete Poem Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho in Hindi by Ghulam Maula Qalaq. Download free Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho Poem for Youth in PDF. Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Thak Thak Gae Hain Aashiq Darmanda-e-fughan Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.