क्या जानिए उल्फ़त का है किस से आग़ाज़
जाँ पर नहीं होता कोई उस का जाँ-बाज़
हासिल नहीं कुछ दोस्त की कोशिश से 'क़लक़'
दुश्मन के सिवा कोई नहीं महरम-ए-राज़
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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Gulzar
Mohsin Naqvi
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कौन जाने था उस का नाम-ओ-नुमूद
इस बज़्म से मैदान में जाना होगा
दरवाज़े पे तेरे ही मरूँगा या-रब
पहले रख ले तू अपने दिल पर हाथ
ज़ुहहाद का ग़फ़लत से है औराद-ओ-सुजूद
उस ख़ित्ते की जा आलम-ए-बाला में नहीं
ज़हे क़िस्मत कि उस के क़ैदियों में आ गए हम भी
ख़ुदा से डरते तो ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न करते हम
ख़त ज़मीं पर न ऐ फ़ुसूँ-गर काट
वाइ'ज़ ये मय-कदा है न मस्जिद कि इस जगह
उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़
मूसा के सर पे पाँव है अहल-ए-निगाह का