किस वास्ते दी थीं हमें यारब आँखें
वल्लाह कि बे-दीद हैं बे-ढब आँखें
दानाई है नादान तो बीनाई कोर
कब आप को देखा कि मुँदीं जब आँखें
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
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पड़ा है दैर-ओ-काबा में ये कैसा ग़ुल ख़ुदा जाने
ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं
मस्जिद को दिया छोड़ रिया की ख़ातिर
लो जाइए बस ख़ुदा हमारा हाफ़िज़
न रहा शिकवा-ए-जफ़ा न रहा
कल तक थी ख़ुल्द ख़ाना-ज़ाद-ए-देहली
आए क्या तेरा तसव्वुर ध्यान में
रहम कर मस्तों पे कब तक ताक़ पर रक्खेगा तू
हर अदावत की इब्तिदा है इश्क़
दुनिया का अजब रंग से देखा अंगेज़
ख़ुशी में भी नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ हूँ
जाँ जाए पर उम्मीद न जाएगी कभी