लो जाइए बस ख़ुदा हमारा हाफ़िज़
बे-यार का है वही प्यारा हाफ़िज़
क्या रश्क मिरे दिल से गया-गुज़रा है
किस मुँह से कहूँ ख़ुदा तुम्हारा हाफ़िज़
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अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत है लज़ीज़
तुझ से ऐ ज़िंदगी घबरा ही चले थे हम तो
दिल से मुझे आने की है आन की आहट
किधर क़फ़स था कहाँ हम थे किस तरफ़ ये क़ैद
क्या आ के जहाँ में कर गए हम
पी भी ऐ माया-ए-शबाब शराब
ऐ सितम-आज़मा जफ़ा कब तक
उड़ाऊँ न क्यूँ तार-तार-ए-गरेबाँ
आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम
ख़ुद रफ़्ता हो बदमस्त हो कैसा है मिज़ाज
दामन से गुल-ए-ताज़ा महकते निकले
गाहे तो करम हम पे भी फ़रमाएँ आप