दिल से मुझे आने की है आन की आहट
क्या ताला-ए-ख़ुफ़्ता की गई नींद उचट
वो पर्दा-नशीं गो कि न आए लेकिन
ऐ चर्ख़ ज़रा सामने से तू तो हट
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
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हर रोज़ ख़ुशी है शब-ए-ग़म से पामाल
दूरी में क्यूँ कि हो न तमन्ना हुज़ूर की
या-रब तुझे फ़िक्र-पा-ए-बंदी क्या है
मेहराब-ओ-मुसल्ला और ज़ाहिद भी वही
क्या आ के जहाँ में कर गए हम
ये वहम-ए-दुई दिल से जुदा करना था
है ख़मोशी-ए-इंतिज़ार बला
कौन जाने था उस का नाम-ओ-नुमूद
ता-माह-ए-सियाम हुए बाब-ए-उम्मीद
किस लिए दावा-ए-ज़ुलेख़ाई
न हो आरज़ू कुछ यही आरज़ू है