आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम

आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम

दिल-ए-ग़मनाक के तुम रहते थे ग़म-ख़्वार कि हम

शिकवा-आलूद नसीहत नहीं अच्छी नासेह

आप हैं कुश्ता-ए-बेदाद-ए-सितमगार कि हम

हश्र अगर कहवे मदद-गार हमारा है कौन

बोल उठे साफ़ तिरा फ़ित्ना-ए-रफ़तार कि हम

आप की शान का सामान कहाँ से आया

यूसुफ़-ए-हुस्न के थे आप ख़रीदार कि हम

हम बुरा ग़ैर से मिलने को समझते थे कि तुम

अपने मतलब के हैं अग़्यार तलबगार कि हम

हाए बे-रहमी-ए-दिल-दार से बे-क़दरी जान

ज़ीस्त से आप हमारी हुए बेज़ार कि हम

जानते हम हैं बुरा रब्त जताने को कि ग़ैर

होंगे मशहूर हवसनाक तिरे यार कि हम

क़त्ल क्या हो कोई ख़ंजर में नहीं तर्ज़-ए-निगाह

दाद ऐ इश्क़ है जल्लाद गुनहगार कि हम

न मोहब्बत की ख़बर उस को न हम को उस की

सादगी कह तो सही यार है अय्यार कि हम

रोज़-ओ-शब मेरे फिराने को फिरे जाता है

चर्ख़ है गर्दिश-ए-बेकार से नाचार कि हम

हो के पामाल ठिकाने से लगी ख़ाक अपनी

तू है आशुफ़्ता सर-ए-कूचा-ओ-बाज़ार कि हम

उन को तुम चाहते हो आप को हम चाहते हैं

लाएक़-ए-रहम हैं फ़रमाइए अग़्यार कि हम

ऐ 'क़लक़' पाँव ज़मीं पर नहीं रखता मग़रूर

चर्ख़ है ख़ाक-ए-दर-ए-हैदर-ए-कर्रार कि हम

(1011) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum In Hindi By Famous Poet Ghulam Maula Qalaq. Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum is written by Ghulam Maula Qalaq. Complete Poem Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum in Hindi by Ghulam Maula Qalaq. Download free Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum Poem for Youth in PDF. Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Aap Ke Mahram Asrar The Aghyar Ki Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.