पहले रख ले तू अपने दिल पर हाथ
फिर मिरे ख़त को पढ़ लिखा क्या है
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दुनिया का अजब रंग से देखा अंगेज़
ऐ पर्दा-नशीं सहल हुआ ये इश्काल
क्या लेने सू-ए-जाह-ओ-हशम जाएँगे
दुनिया का तमाम कारख़ाना है अबस
वही वा'दा है वही आरज़ू वही अपनी उम्र-ए-तमाम है
जौहर-ए-आसमाँ से क्या न हुआ
है बस कि जवानी में बुढ़ापे का ग़म
नक़्श-बर-आब नाम है सैल-ए-फ़ना मक़ाम
दिल के हर जुज़्व में जुदाई है
मुँह गेसू-ए-पुर-ख़म से न मोड़ूँ कब तक
इस अहद में एहतिसाब-ए-ईमानी क्या
इस बज़्म से मैदान में जाना होगा