इस अहद में एहतिसाब-ए-ईमानी किया
इबराम-ए-मआसी की पशेमानी क्या
हर दा'वा-ए-दीं हुक्म ऐक्ट से डिसमिस
डिग्री है कि बे-सूद मुसलमानी क्या
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दिल से मुझे आने की है आन की आहट
कहिए क्या और फ़ैसले की बात
हम कौन हैं एहतिमाम करने वाले
दिल जोश-ए-मआसी से न क्यूँ ख़ूँ हो जाए
पहले रख ले तू अपने दिल पर हाथ
आलूदा ख़यालात में तेरे हूँ मुदाम
जो कहता है वो करता है बर-अक्स उस के काम
दामन से गुल-ए-ताज़ा महकते निकले
न पहुँचे हाथ जिस का ज़ोफ़ से ता-ज़ीस्त दामन तक
गली से अपनी इरादा न कर उठाने का
ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा
बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में