कहिए क्या और फ़ैसले की बात

कहिए क्या और फ़ैसले की बात

वस्ल है इक मुआ'मले की बात

उस के कूचे में लाख सर-गरदाँ

एक यूसुफ़ के क़ाफ़िले की बात

गेसू-ए-हूर और ज़ाहिद बस

ज़िक्र-ए-काकुल है सिलसिले की बात

ग़ैर से हम को रश्क-ए-सल्ल-ए-अला

कहिए कुछ अपने हौसले की बात

एक आलम को कर दिया पामाल

ये भी है कोई मश्ग़ले की बात

क्या बिगड़ना उन्हें नहीं आता

सुल्ह भी है मुजादले की बात

देख क्या कहते हैं ख़ुदा से हम

इक ज़रा है मुक़ाबले की बात

इस क़दर और क़रीब-ए-ख़ातिर तू

अक़्ल से है ये फ़ासले की बात

दावर-ए-हश्र से भी हाल कहा

नहीं रुकती कहीं गिले की बात

न चले पाँव और न सर ही चले

बे-सर-ओ-पा है आबले की बात

कोई मज़मूँ कभी न पेश आया

शेर में की है फिर सिले की बात

हम-नशीं अर्श हिल गया शब-ए-हिज्र

पूछ मत जी के ज़लज़ले की बात

ऐ क़लक़ दिल को सोच कर देना

कुछ नहीं ठीक वलवले की बात

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Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat In Hindi By Famous Poet Ghulam Maula Qalaq. Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat is written by Ghulam Maula Qalaq. Complete Poem Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat in Hindi by Ghulam Maula Qalaq. Download free Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat Poem for Youth in PDF. Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat is a Poem on Inspiration for young students. Share Kahiye Kya Aur Faisle Ki Baat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.