ज़हे क़िस्मत कि उस के क़ैदियों में आ गए हम भी
वले शोर-ए-सलासिल में है इक खटका रिहाई का
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(675) Peoples Rate This
इस वक़्त ज़माने में बहम ऐसे हैं
ख़ुद रफ़्ता हो बदमस्त हो कैसा है मिज़ाज
ऐ अब्र कहाँ तक तिरे रस्ते देखें
मुँह गेसू-ए-पुर-ख़म से न मोड़ूँ कब तक
हम उस कूचे में उठने के लिए बैठे हैं मुद्दत से
दयार-ए-यार का शायद सुराग़ लग जाता
बानो ने कहा क़तरा नहीं शीर का है
उस ख़ित्ते की जा आलम-ए-बाला में नहीं
दीदा-ए-सर्फ़-ए-इंतिज़ार है शम्अ
जाहिल की है मीरास 'क़लक़' तख़्त-ओ-ताज
ज़ुहहाद का ग़फ़लत से है औराद-ओ-सुजूद
ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा