ऐ अब्र कहाँ तक तिरे रस्ते देखें
इस तरह से दुनिया को तरसते देखें
भूला नहीं बारिश का तरीक़ा तू अगर
आ सामने हम भी तो बरसते देखें
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(682) Peoples Rate This
दीं ही बेहोश है न दुनिया बेहोश
ख़ुद रफ़्ता हो बदमस्त हो कैसा है मिज़ाज
गर्दन को झुका देता है अदना एहसान
मस्जिद में न जा वाँ नहीं होने का निबाह
लाज़िम है कि फ़िक्र-ए-रुख़-ए-दिलबर छोड़ूँ
है बस कि जवानी में बुढ़ापे का ग़म
गली से अपनी इरादा न कर उठाने का
आप के महरम असरार थे अग़्यार कि हम
अफ़्साना-ए-यार बहर-ए-वसलत है लज़ीज़
तेरे वादे का इख़्तिताम नहीं
कल तक थी ख़ुल्द ख़ाना-ज़ाद-ए-देहली
मरमर के पए रंज-ओ-बला जीते हैं