साइमा असमा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साइमा असमा

साइमा असमा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का साइमा असमा
नामसाइमा असमा
अंग्रेज़ी नामSaima Asma

उस के आने की दुआ होती है दिन भर लेकिन

ख़ुद को बे-कल किया औरों को सताए रक्खा

एक तअल्लुक़ जान के मिलते हैं वर्ना

बदन और ज़ेहन मिल बैठे हैं फिर से

नक़्श जब ज़ख़्म बना ज़ख़्म भी नासूर हुआ

न-जाने कैसी निगाहों से मौत ने देखा

मयस्सर ख़ुद निगह-दारी की आसाइश नहीं रहती

कभी कभी तो अच्छा-ख़ासा चलते चलते

जाने फिर मुँह में ज़बाँ रखने का मसरफ़ क्या है

ऐसा क्या अंधेर मचा है मेरे ज़ख़्म नहीं भरते

आज सोचा है कि ख़ुद रस्ते बनाना सीख लूँ

वीडियो गेम

तू ने पूछा है मिरे दोस्त!

रिसाइकिलबिन

पंक्चुवेशन

पहेली

मुश्किल

मुबारकबाद

कुल्लिया

उस रस्ते पर जाते देखा कोई नहीं है

सुनते रहते हैं फ़क़त कुछ वो नहीं कह सकते

सर-ए-ख़याल मैं जब भूल भी गई कि मैं हूँ

नक़्श जब ज़ख़्म बना ज़ख़्म भी नासूर हुआ

मयस्सर ख़ुद निगह-दारी की आसाइश नहीं रहती

कुछ बे-नाम तअल्लुक़ जिन को नाम अच्छा सा देने में

कोई इम्काँ तो न था उस का मगर चाहता था

ख़ाली हाथों में मोहब्बत बाँटती रह जाऊँगी

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