मूसा के सर पे पाँव है अहल-ए-निगाह का
उस की गली में ख़ाक अड़ी कोह-ए-तूर की
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चल दिए हम ऐ ग़म-ए-आलम विदाअ'
हर तरह से ज़ाएअ' है यहाँ हर औक़ात
या-रब तुझे फ़िक्र-पा-ए-बंदी क्या है
वही वा'दा है वही आरज़ू वही अपनी उम्र-ए-तमाम है
पहले रख ले तू अपने दिल पर हाथ
ये वहम-ए-दुई दिल से जुदा करना था
कहिए क्या और फ़ैसले की बात
न रहा शिकवा-ए-जफ़ा न रहा
बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में
लो जाइए बस ख़ुदा हमारा हाफ़िज़
दुनिया का अजब रंग से देखा अंगेज़
ग़ैरों को शब-ए-वस्ल बुलाने से ग़रज़