फ़लक Poetry (page 14)

मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है

फ़रहत एहसास

मैं तमाम गर्द-ओ-ग़ुबार हूँ मुझे मेरी सूरत-ए-हाल दे

फ़रहत एहसास

अफ़्साना-ए-शब-रंग

फ़रीद इशरती

जब भी नज़्म-ए-मै-कदा बदला गया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज

फख्र ज़मान

अच्छा है तू ने इन दिनों देखा नहीं मुझे

फ़ैज़ी

टूटी जहाँ जहाँ पे कमंद

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुम्हारे हुस्न के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

रंग है दिल का मिरे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

निसार मैं तेरी गलियों के

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नज़्म

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम ने सब शेर में सँवारे थे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कहा फ़लक ने ये उड़ते हुए परिंदों से

फ़ैसल सईद फ़ैसल

ये तीरा-बख़्त बयानों में क़ैद रहते हैं

फ़ैसल सईद फ़ैसल

तफ़्सील मसाफ़त की

फ़हमीदा रियाज़

एक पल जा न कहूँ नैन सूँ ऐ नूर-ए-बसर

फ़ाएज़ देहलवी

तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना

एज़ाज़ अहमद आज़र

ख़ुदा भी जानता है ख़ूब जो मक्कार बैठे हैं

डॉक्टर आज़म

लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब

दिलावर फ़िगार

हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

बिला-जवाज़ नहीं है फ़लक से जंग मिरी

दानियाल तरीर

उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं

दाग़ देहलवी

तुम आईना ही न हर बार देखते जाओ

दाग़ देहलवी

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

दाग़ देहलवी

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

दाग़ देहलवी

हाथ निकले अपने दोनों काम के

दाग़ देहलवी

ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाएँ हम

दाग़ देहलवी

ले उड़ा रंग फ़लक जल्वा-ए-रा'नाई का

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

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