फ़लक Poetry (page 16)

तुफ़्ता-जानों का इलाज ऐ अहल-ए-दानिश और है

ज़फ़र

पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर बुत-ए-ख़ूँ-ख़्वार के

ज़फ़र

क्यूँकर न ख़ाकसार रहें अहल-ए-कीं से दूर

ज़फ़र

है दिल को जो याद आई फ़लक-ए-पीर किसी की

ज़फ़र

बाग़-ए-दिल में कोई ग़ुंचा न खिला तेरे बा'द

बदनाम नज़र

ज़मीं के और तक़ाज़े फ़लक कुछ और कहे

अज़रा परवीन

अब अपनी चीख़ भी क्या अपनी बे ज़बानी क्या

अज़रा परवीन

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा

अज़्म बहज़ाद

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिख्खा

अज़्म बहज़ाद

समझ के रस्ता इधर से गुज़रने वालों ने

अज़लान शाह

आख़िर-ए-शब वो तेरी अंगड़ाई

अज़ीज़ वारसी

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

अज़ीज़ लखनवी

साफ़ बातिन देर से हैं मुंतज़िर

अज़ीज़ लखनवी

बाज़ी-ए-इश्क़ मरे बैठे हैं

अज़ीज़ लखनवी

दिलों की उक़्दा-कुशाई का वक़्त है कि नहीं

अज़ीज़ हामिद मदनी

जो दौलत तरक़्क़ी-रसाई बहुत है

अज़हर हाश्मी

ये किस मक़ाम पे पहुँचा है कारवान-ए-वफ़ा

अय्यूब साबिर

लहरों में बदन उछालते हैं

अय्यूब ख़ावर

तिरे फ़लक ही से टूटने वाली रौशनी के हैं अक्स सारे

अतीक़ुल्लाह

वो मेरे नाले का शोर ही था शब-ए-सियह की निहायतों में

अतीक़ुल्लाह

धुएँ में डूबे हैं फूल तारे चराग़ जुगनू चिनार कैसे

अतहर सलीमी

रात और रेल

असरार-उल-हक़ मजाज़

एक ग़मगीन याद

असरार-उल-हक़ मजाज़

हर रंग-ए-तरब मौसम ओ मंज़र से निकाला

असलम महमूद

जाने किस लम्हा-ए-वहशी की तलब है कि फ़लक

असलम कोलसरी

यार को दीदा-ए-ख़ूँ-बार से ओझल कर के

असलम कोलसरी

कोई गुलाब यहाँ पर खिला के देखते हैं

असलम हबीब

दिल की धड़कन अब रग-ए-जाँ के बहुत नज़दीक है

असलम इमादी

मकाँ से दूर कहीं ला-मकाँ से होता है

आसिम वास्ती

जीने का न कुछ होश न मरने की ख़बर है

असग़र गोंडवी

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