अंतर Poetry (page 7)

नहीं ये जल्वा-हा-ए-राज़-ए-इरफ़ाँ देखने वाले

बासित भोपाली

वो शाह-ए-हुस्न जो बे-मिस्ल है हसीनों में

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर बुत-ए-ख़ूँ-ख़्वार के

ज़फ़र

तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा

अज़ीज़ वारसी

तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा

अज़ीज़ वारसी

अज़ल-अबद

अज़ीज़ क़ैसी

भड़क उट्ठेंगे शो'ले एक दिन दुनिया की महफ़िल में

अज़ीज़ लखनवी

महक में ज़हर की इक लहर भी ख़्वाबीदा रहती है

अज़ीज़ हामिद मदनी

मिरी आँखें गवाह-ए-तल'अत-ए-आतिश हुईं जल कर

अज़ीज़ हामिद मदनी

फ़िराक़ से भी गए हम विसाल से भी गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

इक ख़्वाब-ए-आतिशीं का वो महरम सा रह गया

अज़ीज़ हामिद मदनी

नुमाइश में

असरार-उल-हक़ मजाज़

इंक़लाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे

असरार-उल-हक़ मजाज़

ख़िज़ाँ का मौसम

असरा रिज़वी

मिरी नज़र मिरा अपना मुशाहिदा है कहाँ

आसिम वास्ती

ख़ुदा से मशवरा माँगा है तेरे बारे में

अासिफ़ रशीद असजद

क्या क़द्र-ए-अना होगी जबीं जान रही है

अशहर हाशमी

किसी की चाह में ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है

असग़र वेलोरी

छुट्टी का दिन

असग़र नदीम सय्यद

एक दिल पत्थर बने और एक दिल बन जाए मोम

आरज़ू लखनवी

मिरी निगाह कहाँ दीद-ए-हुस्न-ए-यार कहाँ

आरज़ू लखनवी

यक़ीन-ए-सुब्ह-ए-चमन है कितना शुऊर-ए-अब्र-ए-बहार क्या है

अर्शी भोपाली

सब रंग वही ढंग वही नाज़ वही थे

अरशदुल क़ादरी

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

अरशद अली ख़ान क़लक़

हुज़ूर-ए-ग़ैर तुम उश्शाक़ की तहक़ीर करते हो

अरशद अली ख़ान क़लक़

गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख

अरशद अली ख़ान क़लक़

गिरते उभरते डूबते धारे से कट गया

अरमान नज्मी

दस्तार-ए-हुनर बख़्शिश-ए-दरबार नहीं है

अंजुम ख़लीक़

किस का भेद कहाँ की क़िस्मत पगले किस जंजाल में है

अंजुम फ़ौक़ी बदायूनी

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