सड़क Poetry (page 16)

ज़रूरतों की हमाहमी में जो राह चलते भी टोकती है वो शाइ'री है

बद्र-ए-आलम ख़लिश

हयात ढूँढ रहा हूँ क़ज़ा की राहों में

बदनाम नज़र

आग ही काश लग गई होती

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

घर में रहते हुए डर लगता है

बीएस जैन जौहर

घर में रहते हुए डर लगता है

बीएस जैन जौहर

जिला-वतन होने से पहले

अज़रा अब्बास

ख़राबी

अज़्म बहज़ाद

जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है

अज़्म बहज़ाद

कंफ़ेशन

अज़ीज़ क़ैसी

रात की रात पड़ाव का मेला कोच की धूल सवेरे

अज़ीज़ क़ैसी

हयात-ओ-काएनात पर किताब लिख रहे थे हम

अज़ीज़ नबील

ज़ंजीर-ए-पा से आहन-ए-शमशीर है तलब

अज़ीज़ हामिद मदनी

जूयान-ए-ताज़ा-कारी-ए-गुफ़्तार कुछ कहो

अज़ीज़ हामिद मदनी

ग़लत-बयाँ ये फ़ज़ा महर ओ कीं दरोग़ दरोग़

अज़ीज़ हामिद मदनी

अलावा इक चुभन के क्या है ख़ुद से राब्ता मेरा

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

तुम्हारी याद के दीपक भी अब जलाना क्या

अज़हर इक़बाल

दिल की गली में चाँद निकलता रहता है

अज़हर इक़बाल

दलील उस के दरीचे की पेश की मैं ने

अज़हर फ़राग़

इधर महसूस होती है कमी उस की

अज़हर अब्बास

बुझने लगे नज़र तो फिर उस पार देखना

अय्यूब ख़ावर

इस गली से उस गली तक दौड़ता रहता हूँ मैं

अतीक़ुल्लाह

कीसा-ए-दरवेश में जो भी है ज़र उतना ही है

अतीक़ुल्लाह

धुएँ में डूबे हैं फूल तारे चराग़ जुगनू चिनार कैसे

अतहर सलीमी

यही बहुत है कि अहबाब पूछ लेते हैं

अतहर नासिक

साया मेरा साया वो

अतहर नफ़ीस

लम्हों के अज़ाब सह रहा हूँ

अतहर नफ़ीस

दिल के आँगन में तिरी याद का तारा चमका

अतीक़ अंज़र

बा'द मुद्दत मिले कुछ कहा न सुना भर गए ज़ख़्म पुरवाइयाँ सो गईं

अतीक़ अंज़र

ग़ज़ल-पैमाई

असरार जामई

रूठ कर निकला तो वो उस सम्त आया भी नहीं

असलम कोलसरी

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