गहर Poetry (page 7)

ज़िंदगी मो'तबर तलाशे है

दीपक शर्मा दीप

मोहब्बत की मता-ए-जावेदानी ले के आया हूँ

दर्शन सिंह

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दिल के ज़ख़्मों की चुभन दीदा-ए-तर से पूछो

बुशरा हाश्मी

दिल के ज़ख़्मों की चुभन दीदा-ए-तर से पूछो

बुशरा हाश्मी

मैं ने माना एक गुहर हूँ फिर भी सदफ़ में हूँ

भारत भूषण पन्त

ख़ंजर तलाश करता है

बेबाक भोजपुरी

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

है दुनिया में ज़बाँ मेरी अगर बंद

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

तख़लीक़-ए-काएनात दिगर कर सके तो कर

बशीर फ़ारूक़

दूर तक चारों तरफ़ मेरे सिवा कोई न था

बशीर अहमद बशीर

लब-ए-रंगीं से अगर तू गुहर-अफ़शाँ होता

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

चाँद सा चेहरा जो उस का आश्कारा हो गया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया

बाक़ी सिद्दीक़ी

रंग में हम मस से बतर हो चुके

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

सच है या फिर मुग़ालता है मुझे

बलवान सिंह आज़र

समुंदर है कोई आँखों में शायद

बकुल देव

हमें देखा न कर उड़ती नज़र से

बकुल देव

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम

ज़फ़र

हिज्र के हाथ से अब ख़ाक पड़े जीने में

ज़फ़र

ज़रूरतों की हमाहमी में जो राह चलते भी टोकती है वो शाइ'री है

बद्र-ए-आलम ख़लिश

घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा

अज़्म शाकरी

नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है

अज़ीज़ हामिद मदनी

हज़ार वक़्त के परतव-नज़र में होते हैं

अज़ीज़ हामिद मदनी

पेड़ आँगन के तिरे जब बारवर हो जाएँगे

आज़ाद गुरदासपुरी

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

अता शाद

तआरुफ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

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