गोियाई Poetry (page 1)

अश्क गिरने की सदा आई है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

उन कही बात के सौ रूप कही बात का एक

ज़िया जालंधरी

अन-कही बात के सौ रूप कही बात का एक

ज़िया जालंधरी

क्या कहें क्या लिखें

वहीद अहमद

जब मिरे होंटों पे मेरी तिश्नगी रह जाएगी

ताहिर फ़राज़

शायरी मज़हर-ए-अहवाल-ए-दरूं है यूँ है

सुलेमान ख़ुमार

इक तिरा दर्द है तन्हाई है रुस्वाई है

सुलैमान अहमद मानी

जब समाअ'त ही न हो उस की तो है बेकार शरह

श्याम सुंदर लाल बर्क़

हूर हो या कोई परी हो तुम

शुजाअत इक़बाल

अजनबी

शाज़ तमकनत

शाकी बद-ज़न आज़ुर्दा हैं मुझ से मेरे भाई यार

शमीम अब्बास

फ़स्ल-ए-गुल ख़ाक हुई जब तो सदा दी तू ने

शहज़ाद अहमद

गर्म-जोशी के नगर में सर्द-तन्हाई मिली

शाहीन बद्र

नज़्म

शबनम अशाई

हर जानिब से आए पत्थर

शब्बीर नकिद

तिरे ख़ुलूस के क़िस्से सुना रहा हूँ मैं

सरफ़राज़ नवाज़

जो बात दिल में थी वो कब ज़बान पर आई

सलीम अहमद

नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

रिफ़अत सेठी

फिर जो देखा दूर तक इक ख़ामुशी पाई गई

राज़ी अख्तर शौक़

आँखों प अभी तोहमत-ए-बीनाई कहाँ है

रऊफ़ ख़ैर

पहचान कम हुई न शनासाई कम हुई

राही कुरैशी

गुज़र गई जो चमन पर वो कोई क्या जाने

इक़बाल सफ़ी पूरी

रास आई न मुझे अंजुमन-आराई भी

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

जल्वा-ए-हुस्न को महरूम-ए-तमाशाई कर

हफ़ीज़ जालंधरी

''अटलांटिक सिटी''

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ऐ सितम-आज़मा जफ़ा कब तक

ग़ुलाम मौला क़लक़

सुलगना अंदर अंदर मिस्रा-ए-तर सोचते रहना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

दो अलग लफ़्ज़ नहीं हिज्र ओ विसाल

फ़रहत एहसास

उस तरफ़ तू तिरी यकताई है

फ़रहत एहसास

ख़ूब होनी है अब इस शहर में रुस्वाई मिरी

फ़रहत एहसास

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