गुल Poetry (page 92)

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए

अब्दुल हमीद अदम

वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा

अब्दुल हमीद अदम

होंकते दश्त में इक ग़म का समुंदर देखो

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

उसे मैं ने नहीं देखा

अब्बास ताबिश

शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है

अब्बास ताबिश

नक़्श सारे ख़ाक के हैं सब हुनर मिट्टी का है

अब्बास ताबिश

हवा-ए-मौसम-ए-गुल से लहू लहू तुम थे

अब्बास ताबिश

चश्म-ए-नम-दीदा सही ख़ित्ता-ए-शादाब मिरा

अब्बास ताबिश

मैं उस से दूर रहा उस की दस्तरस में रहा

अब्बास रिज़वी

जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है

अब्बास रिज़वी

ख़्वाब-गह में सियाह ख़ुशबू था

अब्बास कैफ़ी

चश्म-ए-ज़ाहिर-बीं को हर इक पेश-मंज़र आश्ना

अब्बास अलवी

ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले

आज़िम कोहली

सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा

आज़िम कोहली

दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे

आज़िम कोहली

तुम्हें ज़ेबा नहीं हरगिज़ सिले की आरज़ू रखना

अातिश बहावलपुरी

ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह

अातिश बहावलपुरी

इब्तिदा बिगड़ी इंतिहा बिगड़ी

अातिश बहावलपुरी

ज़ंग-ख़ुर्दा लब अचानक आफ़्ताबी हो गए

आतिफ़ कमाल राना

बहार-ए-ज़ख़्म-ए-लब-ए-आतिशीं हुई मुझ से

आतिफ़ कमाल राना

सरशार हूँ साक़ी की आँखों के तसव्वुर से

आसी रामनगरी

क़फ़स-नसीबों का उफ़ हाल-ए-ज़ार क्या होगा

आसी रामनगरी

लाला-ओ-गुल पे ख़िज़ाँ आज भी जब छाई है

आसी रामनगरी

उसी के जल्वे थे लेकिन विसाल-ए-यार न था

आसी ग़ाज़ीपुरी

सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है

आसी ग़ाज़ीपुरी

रविश उस चाल में तलवार की है

आसी ग़ाज़ीपुरी

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