हाथ Poetry (page 39)

शैख़-जी ये बयान करो हम भी तो बारी कुछ सुनें

इंशा अल्लाह ख़ान

याँ ज़ख़्मी-ए-निगाह के जीने पे हर्फ़ है

इंशा अल्लाह ख़ान

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

इंशा अल्लाह ख़ान

तुझ से यूँ यक-बार तोड़ूँ किस तरह

इंशा अल्लाह ख़ान

तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन

इंशा अल्लाह ख़ान

फबती तिरे मुखड़े पे मुझे हूर की सूझी

इंशा अल्लाह ख़ान

मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम

इंशा अल्लाह ख़ान

जो हाथ अपने सब्ज़े का घोड़ा लगा

इंशा अल्लाह ख़ान

जिस को कुछ धन हो करे हम से हक़ीक़त की बहस

इंशा अल्लाह ख़ान

एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक

इंशा अल्लाह ख़ान

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

सस्ती नज़्म

इंजील सहीफ़ा

ले-बाई एरिया

इंजील सहीफ़ा

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

कोई गा दे मीठी लोरी सजन

इंजील सहीफ़ा

फ़ज़ा में रंग से बिखरे हैं चाँदनी हुई है

इंजील सहीफ़ा

कुछ हवा का भी हाथ था वर्ना

इंद्र सराज़ी

वो एक शख़्स कि बाइस मिरे ज़वाल का था

इनाम-उल-हक़ जावेद

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

आँख ने धोका खाया था या साया था

इनाम नदीम

सड़क

इमरान शमशाद

शोर में इर्तिकाज़ मिलता है

इमरान शमशाद

जल कर जिस ने जल को देखा

इमरान शमशाद

ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन

इमरान शमशाद

तुझ से इक हाथ क्या मिला लिया है

इमरान आमी

कुछ एहतिमाम न था शाम-ए-ग़म मनाने को

इमरान आमी

कोई मजनूँ कोई फ़रहाद बना फिरता है

इमरान आमी

जितने पानी में कोई डूब के मर सकता है

इमरान आमी

ज़बान-ए-हाल से हम शिकवा-ए-बेदाद करते हैं

इम्दाद इमाम असर

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

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