हाथ Poetry (page 41)

आदमी

इलियास बाबर आवान

मेरा और फूलों का रिश्ता टूट गया

इलियास बाबर आवान

हमारा आइना बे-कार हो गया तो फिर!

इलियास बाबर आवान

घर को जाने का रास्ता नहीं था

इलियास बाबर आवान

वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है

इफ़्तिख़ार राग़िब

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

इफ़्तिख़ार राग़िब

रात को बाहर अकेले घूमना अच्छा नहीं

इफ़्तिख़ार नसीम

जिला-वतन हूँ मिरा घर पुकारता है मुझे

इफ़्तिख़ार नसीम

चाँद फिर तारों की उजली रेज़गारी दे गया

इफ़्तिख़ार नसीम

बन गया है जिस्म गुज़रे क़ाफ़िलों की गर्द सा

इफ़्तिख़ार नसीम

रौशनी की डोर थामे ज़िंदगी तक आ गए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

हर मुश्किल आसान बनाने वाला था

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

शिकस्त

इफ़्तिख़ार आरिफ़

क़िस्सा एक बसंत का

इफ़्तिख़ार आरिफ़

और हवा चुप रही

इफ़्तिख़ार आरिफ़

आख़िरी आदमी का रजज़

इफ़्तिख़ार आरिफ़

जुनूँ का रंग भी हो शोला-ए-नुमू का भी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दयार-ए-नूर में तीरा-शबों का साथी हो

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बस्ती भी समुंदर भी बयाबाँ भी मिरा है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तसव्वुर

इफ़्तिख़ार आज़मी

तिरी गली से गुज़रने को सर झुकाए हुए

इदरीस बाबर

किसी के हाथ कहाँ ये ख़ज़ाना आता है

इदरीस बाबर

और वहशत है इरादा मेरा

इदरीस बाबर

वो यूँ सुबूत-ए-उरूज-ओ-ज़वाल देता था

इबरत मछलीशहरी

ये तकल्लुफ़ ये मुदारात समझ में आए

इबरत मछलीशहरी

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

इबरत मछलीशहरी

ख़ुद अपने आप से लेना था इंतिक़ाम मुझे

इब्राहीम अश्क

शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या

इब्राहीम अश्क

रू-ब-रू उन के कोई हर्फ़ अदा क्या करते

इब्राहीम अश्क

मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ

इब्राहीम अश्क

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