क़िस्सा एक बसंत का

पतंगें लूटने वालों को क्या मालूम किस के हाथ का माँझा खरा था और किस की

डोर हल्की थी

उन्हें इस से ग़रज़ क्या पेँच पड़ते वक़्त किन हाथों में लर्ज़ा आ गया था

और किस की खेंच अच्छी थी?

हवा किस की तरफ़ थी, कौन सी पाली की बैरी थी?

पतंगें लूटने वालों को क्या मालूम?

उन्हें तो बस बसंत आते ही अपनी अपनी डाँगेँ ले के मैदानों में आना है

गली-कूचों में काँटी मारना है पतंगें लूटना है लूट के जौहर दिखाना है

पतंगें लूटने वालों को क्या मालूम किस के हाथ का माँझा खरा था

और किस की डोर हल्की थी?

(748) Peoples Rate This

Related Poetry

Your Thoughts and Comments

Qissa Ek Basant Ka In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Qissa Ek Basant Ka is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Qissa Ek Basant Ka in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Qissa Ek Basant Ka Poem for Youth in PDF. Qissa Ek Basant Ka is a Poem on Inspiration for young students. Share Qissa Ek Basant Ka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.