हुआ Poetry (page 234)

तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

सुब्ह सफ़र और शाम सफ़र

अब्दुल मन्नान तरज़ी

पुर्सिश है चश्म-ए-अश्क-फ़शाँ पर न आए हर्फ़

अब्दुल मन्नान तरज़ी

जब भी गुलशन में चली ठंडी हवा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने

अब्दुल मन्नान समदी

वक़्त अब सर पे वो आया है कि सर याद नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

मुन्कशिफ़ तल्ख़ी-ए-हालात न होने पाई

अब्दुल मलिक सोज़

दिल अपना याद-ए-यार से बेगाना तो नहीं

अब्दुल मलिक सोज़

इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ

अब्दुल मजीद सालिक

अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम

अब्दुल मजीद सालिक

न मोहतसिब की न हूर-ओ-जिनाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से

अब्दुल मजीद सालिक

जो मुश्त-ए-ख़ाक हो उस ख़ाक-दाँ की बात करो

अब्दुल मजीद सालिक

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

अब्दुल मजीद सालिक

दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर

अब्दुल हमीद अदम

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

अब्दुल हमीद अदम

ख़ैरात सिर्फ़ इतनी मिली है हयात से

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का

अब्दुल हमीद अदम

अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा था

अब्दुल हमीद अदम

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