जीवन Poetry (page 13)

ये किस दयार के हैं किस के ख़ानदान से हैं

रज़ा मौरान्वी

महकती आँखों में सोचा था ख़्वाब उतरेंगे

रज़ा मौरान्वी

ख़ुश्क दामन पे बरसने नहीं देती मुझ को

रज़ा मौरान्वी

वास्ता कोई न रख कर भी सितम ढाते हो तुम

रज़ा लखनवी

उन की निगाह-ए-नाज़ के क़ाबिल कहें जिसे

रज़ा जौनपुरी

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

रज़ा जौनपुरी

जिंस-ए-गिराँ का मैं हूँ ख़रीदार दोस्तो

रज़ा जौनपुरी

ज़ख़्म कुछ ऐसे मिरे क़ल्ब-ओ-जिगर ने पाए

रज़ा हमदानी

इश्क़ की बीमारी है जिन को दिल ही दिल में गलते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

इश्क़ के जाँ-निसार जीते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

पचास सालों में दो इक बरस का रिश्ता था

रज़ा अश्क

ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ

रौनक़ दकनी

वो ख़ुश-सुख़न तो किसी पैरवी से ख़ुश न हुआ

रऊफ़ ख़ैर

शर्तों पे अपनी खेलने वाले तो हैं वही

रऊफ़ ख़ैर

लुभा रही तो है दुनिया चमक दमक की मुझे

रऊफ़ ख़ैर

सुब्ह-नुशूर क्यूँ मिरी आँखों में नूर आ गया

रसूल साक़ी

कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है

रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी

किसी दराज़ में रखना कि ताक़ पर रखना

रासिख़ इरफ़ानी

मिली है कैसे गुनाहों की ये सज़ा मुझ को

राशिद तराज़

बस एक बार तिरा अक्स झिलमिलाया था

राशिद अनवर राशिद

अज़्म-ए-बुलंद जो दिल-ए-बेबाक में रहा

राशिद आज़र

मिरा नाम क़ैस क्यूँ कर तिरे नाम तक न पहुँचे

रशीद रामपुरी

किसे है लौह-ए-वक़्त पर दवाम सोचते रहे

रशीद कामिल

आज मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है हयात

रसा चुग़ताई

हसरत-ए-सिक्का-ए-बख़ील न कर

रम्ज़ अज़ीमाबादी

वो जो भी बख़्शें वो इनआम ले लिया जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

मिरी निगाह में ये रंग-ए-सोज़-ओ-साज़ न हो

राम कृष्ण मुज़्तर

मजबूर तो बहुत हैं मोहब्बत में जी से हम

राम कृष्ण मुज़्तर

दर्द-ए-हयात-ए-इश्क़ है नग़्मा-ए-जाँ-गुदाज़ में

राम कृष्ण मुज़्तर

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