हिज्र Poetry (page 21)

सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम

ग़ालिब

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

ग़ालिब

मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब में

ग़ालिब

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से

ग़ालिब

है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में

ग़ालिब

ग़म नहीं होता है आज़ादों को बेश अज़-यक-नफ़स

ग़ालिब

गर्म-ए-फ़रियाद रखा शक्ल-ए-निहाली ने मुझे

ग़ालिब

गर न अंदोह-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त बयाँ हो जाएगा

ग़ालिब

आमद-ए-ख़त से हुआ है सर्द जो बाज़ार-ए-दोस्त

ग़ालिब

आठों पहर लहू में नहाया करे कोई

फ़ुज़ैल जाफ़री

रोने वाले हुए चुप हिज्र की दुनिया बदली

फ़िराक़ गोरखपुरी

बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुदाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

ज़िंदगी दर्द की कहानी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

तूर था का'बा था दिल था जल्वा-ज़ार-ए-यार था

फ़िराक़ गोरखपुरी

तेज़ एहसास-ए-ख़ुदी दरकार है

फ़िराक़ गोरखपुरी

सुना तो है कि कभी बे-नियाज़-ए-ग़म थी हयात

फ़िराक़ गोरखपुरी

रात भी नींद भी कहानी भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम

फ़िराक़ गोरखपुरी

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है

फ़िराक़ गोरखपुरी

हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया

फ़िराक़ गोरखपुरी

दौर-ए-आग़ाज़-ए-जफ़ा दिल का सहारा निकला

फ़िराक़ गोरखपुरी

बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में

फ़िराक़ गोरखपुरी

अब दौर-ए-आसमाँ है न दौर-ए-हयात है

फ़िराक़ गोरखपुरी

ख़ाक में मुझ को मिरी जान मिला रक्खा है

फ़ज़ल हुसैन साबिर

इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं

फ़ज़ल हुसैन साबिर

मैं बोली तेरे लब पर है हँसी मेरी

फ़ौज़िया रबाब

सफ़-ए-मातम पे जो हम नाचने गाने लग जाएँ

फ़रताश सय्यद

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.