रोने वाले हुए चुप हिज्र की दुनिया बदली
शम्अ बे-नूर हुई सुब्ह का तारा निकला
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(928) Peoples Rate This
शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो
यूँ इश्क़ की आँच खा के रंग और खिले
शाम-ए-अयादत
दोशीज़ा-ए-बहार मुस्कुराए जैसे
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
खोते हैं अगर जान तो खो लेने दे
ये ज़िंदगी के कड़े कोस याद आते हैं
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
सोते जादू जगाने वाले दिन हैं
ये ज़िल्लत-ए-इश्क़ तेरे हाथों