सोते जादू जगाने वाले दिन हैं
उम्रों की हदें मिलाने वाले दिन हैं
कीना अब कामनी है होने वाली
आँखों को नैन बनाने वाले दिन हैं
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
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Rahat Indori
Gulzar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
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कोई आया न आएगा लेकिन
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
इस दौर में ज़िंदगी बशर की
आवाज़ पे संगीत का होता है भरम
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
देवताओं का ख़ुदा से होगा काम
मुखड़ा देखें तो माह-पारे छुप जाएँ
'फ़िराक़' दौड़ गई रूह सी ज़माने में
रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गए
परछाइयाँ