कोई आया न आएगा लेकिन
क्या करें गर न इंतिज़ार करें
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इश्क़ अभी से तन्हा तन्हा
ऐ रूप की लक्ष्मी ये जल्वों का राग
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मुखड़ा देखें तो माह-पारे छुप जाएँ
हम से क्या हो सका मोहब्बत में
हर साज़ से होती नहीं ये धुन पैदा
एक रंगीनी ज़ाहिर है गुलिस्ताँ में अगर
बन-बासियों में जलव-ए-गुलशन ले कर
क्या जानिए मौत पहले क्या थी
कुछ न कुछ इश्क़ की तासीर का इक़रार तो है
ज़ब्त कीजे तो दिल है अँगारा
समझता हूँ कि तू मुझ से जुदा है