ऐ रूप की लक्ष्मी ये जल्वों का राग
ये जादू-ए-काम-रूप ये हुस्न की आग
ख़ैर ओ बरकत जहान में तेरे दम से
तेरी कोमल हँसी मोहब्बत का सुहाग
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
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कौन ये ले रहा है अंगड़ाई
तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए
शाम-ए-अयादत
परछाइयाँ
मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर
लचका लचका बदन मुजस्सम है नसीम
चढ़ती हुई नद्दी है कि लहराती है
हर जल्वे से इक दर्स-ए-नुमू लेता हूँ
जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
कहती हैं यही तेरी निगाहें ऐ दोस्त
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास