भाग Poetry (page 3)

मुझ को होना है तो दरवेश के जैसा हो जाऊँ

सरफ़राज़ नवाज़

बग़दाद

सलमान अंसारी

आज शायद ज़िंदगी का फ़ल्सफ़ा समझा हूँ मैं

सलीम शुजाअ अंसारी

किस ने कहा कि मुझ को ये दुनिया नहीं पसंद

सलीम फ़राज़

रात हिस्सा है मिरी उम्र का जी लेने दे

शख़ावत शमीम

रौशनी दर पे खड़ी मुझ को बुलाती क्यूँ है

शख़ावत शमीम

मैं पल दो पल का शाइ'र हूँ

साहिर लुधियानवी

शफ़्फ़ाफ़ रंग

साहिल अहमद

मेरे बारे में जो सुना तू ने

सग़ीर मलाल

रात अंदर उतर के देखा है

सग़ीर मलाल

वो लोग आज ख़ुद इक दास्ताँ का हिस्सा हैं

साबिर ज़फ़र

ख़िज़ाँ की रुत है जनम-दिन है और धुआँ और फूल

साबिर ज़फ़र

शहर अपना है मगर लोग कहाँ हैं अपने

रज़्ज़ाक़ अफ़सर

मिली है कैसे गुनाहों की ये सज़ा मुझ को

राशिद तराज़

अम्मी की याद में

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

तेरी मेहंदी में मिरे ख़ूँ की महक आ जाए

राशिद अमीन

थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम

रम्ज़ी असीम

मिरी इक ज़िंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन

राजेश रेड्डी

किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता

राजेश रेड्डी

तल्ख़-ओ-तुर्श

राही मासूम रज़ा

जूही का पौदा

राही मासूम रज़ा

बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की

इंशा अल्लाह ख़ान

एक कहानी इश्क़ की

इंजिला हमेश

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

अपना अपना दुख बतलाना होता है

इलियास बाबर आवान

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

ये बच्चा किस का बच्चा है

इब्न-ए-इंशा

तिरी मदद का यहाँ तक हिसाब देना पड़ा

हसीब सोज़

हम इस ख़ातिर तिरी तस्वीर का हिस्सा नहीं थे

हम्माद नियाज़ी

यक़ीन की सल्तनत थी और सुल्तानी हमारी

हम्माद नियाज़ी

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