मेरे बारे में जो सुना तू ने
मेरी बातों का एक हिस्सा है
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तेरे बारे में अगर ख़ामोश हूँ मैं आज तक
अलग हैं हम कि जुदा अपनी रह-गुज़र में हैं
एक लम्हे में ज़माना हुआ तख़्लीक़ 'मलाल'
निकल गए थे जो सहरा में अपने इतनी दूर
वो हक़ीक़त में एक लम्हा था
रात अंदर उतर के देखा है
एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ
किरदार कह रहे हैं कुछ अपनी ज़बान में
सब सवालों के जवाब एक से हो सकते हैं
मैं ढूँड लूँ अगर उस का कोई निशाँ देखूँ
फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार किया