तेरे बारे में अगर ख़ामोश हूँ मैं आज तक
फिर तिरे हक़ में किसी का फ़ैसला कैसे हुआ
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उन से बचना कि बिछाते हैं पनाहें पहले
फ़क़त ज़मीन से रिश्ते को उस्तुवार किया
निकल गए थे जो सहरा में अपने इतनी दूर
किसी इंसान को अपना नहीं रहने देते
एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ
मेरे बारे में जो सुना तू ने
तअज्जुब उन को है क्यूँ मेरी ख़ुद-कलामी पर
तमाम वहम ओ गुमाँ है तो हम भी धोका हैं
सब सवालों के जवाब एक से हो सकते हैं
फिर इस के बाद रास्ता हमवार हो गया