शफ़्फ़ाफ़ रंग

शाम की आहट जब आने लग जाए

साबिक़ा लिबास उतार देने के अमल को

मीज़ान-ए-नज़र पर रख लेना चाहिए

ताकि वो मैला लिबास शाम का ही हिस्सा न बन जाए

हमें उजले लिबास की फ़िक्र करनी चाहिए

सफ़ेद उजला शफ़्फ़ाफ़ रंग

ताहिरा लिबास का ही हिस्सा है

और हम इस सुब्ह-याफ़ता लिबास के

पहनने के अहल साबित हो गए तो

नजात ही नजात है

सिफ़ात ही सिफ़ात है

लेकिन हम अमल-ए-ताहिरा से गुज़रे बग़ैर

उजला लिबास पहन कर भी

अपनी गर्द-ए-कशाफ़ात छुपा नहीं पाएँगे

बेहतर है अमल-ए-जारीया को ही अफ़ज़ल मानें

नक़्श-ए-मुबीन हासिल हो जाए

मकाँ को मकीं, मकीं को मकाँ मिल जाए

आसमाँ को ज़मीं ज़मीं को आसमाँ मिल जाए

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In Hindi By Famous Poet Sahil Ahmad. is written by Sahil Ahmad. Complete Poem in Hindi by Sahil Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.