मकड़ियों ने जब कहीं जाला तना
मक्खियों ने शोर बरपा कर दिया
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बकरी ''में-में'' करती है
आज कुआँ भी चीख़ उठा है
ख़ुद को ख़ुद में तहलील करो
आँसू
शेर गुफा से निकलेगा
असासा
आँख से आँसू टपका होगा
रो पड़ीं आँखें बहुत 'साहिल' मिरी
धूप थी साया उठा कर रख दिया
घर
कल तलक सहरा बसा था आँख में
शफ़्फ़ाफ़ रंग