कल तलक सहरा बसा था आँख में
अब मगर किस ने समुंदर रख दिया
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(531) Peoples Rate This
क्या परिंदे लौट कर आए नहीं
बकरी ''में-में'' करती है
आईना मेरा बदल कर ले गया
उस की आँखों में थी गहराई बहुत
चीख़ती गाती हवा का शोर था
आँसू
किसी आईने का
बे-घरी
शेर गुफा से निकलेगा
नक़्श डरेगा जंगल में
ख़ुद को ख़ुद में तहलील करो
मकड़ियों ने जब कहीं जाला तना