किस तसव्वुर के तहत रब्त की मंज़िल में रहा
किस वसीले के तअस्सुर का निगहबान था मैं
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उन से ऐ दोस्त मिरा यूँ कोई रिश्ता तो न था
आँसू
क्या परिंदे लौट कर आए नहीं
घर
मकड़ियों ने जब कहीं जाला तना
बकरी ''में-में'' करती है
शफ़्फ़ाफ़ रंग
कल तलक सहरा बसा था आँख में
किसी आईने का
आँख से आँसू टपका होगा
उस की आँखों में थी गहराई बहुत