इनकार Poetry (page 5)

मुझे ग़रज़ है सितारे न माहताब के साथ

रहमान फ़ारिस

नुस्ख़े में तबीबों ने लिखा और ही कुछ है

रौनक़ टोंकवी

ज़बाँ पे हर्फ़ तो इंकार में नहीं आता

रऊफ़ ख़ैर

घर से निकल के आए हैं बाज़ार के लिए

रसूल साक़ी

सुना कि ख़ूब है उस के दयार का मौसम

राशिद अनवर राशिद

जोश-ए-वहशत मेरे तलवों को ये ईज़ा भी सही

रशीद लखनवी

न क़ाएल होते हैं न ज़ाइल

राजेन्द्र मनचंदा बानी

इजाज़त कम थी जीने की मगर मोहलत ज़ियादा थी

राजेश रेड्डी

साथ ले कर अपनी बर्बादी के अफ़्साने गए

राही शहाबी

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

मिरे पाँव में पायल की वही झंकार ज़िंदा है

इरम ज़ेहरा

जो बात तुझ से चाही है अपना मिज़ाज आज

इंशा अल्लाह ख़ान

झूटे वादों पर तुम्हारी जाएँ क्या

इम्दाद इमाम असर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

हमारा आइना बे-कार हो गया तो फिर!

इलियास बाबर आवान

तू नहीं तो ज़िंदगी में और क्या रह जाएगा

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

एलान नामा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

देख हमारी दीद के कारन कैसा क़ाबिल-ए-दीद हुआ

इब्न-ए-इंशा

ख़यालों ख़यालों में किस पार उतरे

हुसैन आबिद

पास-ए-नामूस-ए-तमन्ना हर इक आज़ार में था

होश तिर्मिज़ी

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

ज़ुल्फ़ अंधेर करने वाली है

हातिम अली मेहर

डुबोएगी बुतो ये जिस्म दरिया-बार पानी में

हातिम अली मेहर

सर-ए-दरबार ख़ामोशी तह-ए-दरबार ख़ुशियाँ हैं

हस्सान अहमद आवान

इश्क़ आज़ार कर दिया जाए

हस्सान अहमद आवान

है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी

हसरत मोहानी

हर्फ़-ए-इंकार कि इक़रार-ए-वफ़ा था क्या था

हसरत देवबंदी

या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद

हसरत अज़ीमाबादी

इन दोनों घर का ख़ाना-ख़ुदा कौन ग़ैर है

हसरत अज़ीमाबादी

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