इनकार Poetry (page 2)

रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

दीवाने की जन्नत

वसीम बरेलवी

मुदावा

वामिक़ जौनपुरी

शैख़ है तुझ को ही इंकार सनम मेरे से

वलीउल्लाह मुहिब

इस्लाम में ये कैसा इंकार कुफ़्र से है

वलीउल्लाह मुहिब

वाँ जो कुछ का'बे में असरार है अल्लाह अल्लाह

वलीउल्लाह मुहिब

मेरी ख़बर न लेना ऐ यार है तअ'ज्जुब

वलीउल्लाह मुहिब

दुनिया में क्या किसी से सरोकार है हमें

वलीउल्लाह मुहिब

दफ़्तर-ए-लौह ओ क़लम या दर-ए-ग़म खुलता है

वहीद अख़्तर

इस ख़राबी की कोई हद है कि मेरे घर से

विपुल कुमार

हवा के वार पे अब वार करने वाला है

विकास शर्मा राज़

नाज़ कर नाज़ कि ये नाज़ जुदा है सब से

उम्मीद फ़ाज़ली

कभी इक़रार होना था कभी इंकार होना था

उमैर मंज़र

चश्म-ए-बीना! तिरे बाज़ार का मेआर हैं हम

तारिक़ क़मर

राएगाँ सुब्ह की चिता पर

तनवीर अंजुम

तो क्यूँ इस बार उस ने मेरे आगे सर झुकाया है

तालीफ़ हैदर

फिर क़िस्सा-ए-शब लिख देने के ये दिल हालात बनाए है

तालीफ़ हैदर

बहुत मुश्किल था मुझ को राह का हमवार कर देना

तालीफ़ हैदर

चमन इतना ख़िज़ाँ-आसार पहले कब हुआ था

तहसीन फ़िराक़ी

हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का

ताबाँ अब्दुल हई

ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का

ताबाँ अब्दुल हई

हर एक चीज़ मयस्सर सिवाए बोसा है

सय्यद काशिफ़ रज़ा

क्यूँ सादगी से उस की तकरार हो गई है

सय्यद हामिद

फ़र्द को अस्र की रफ़्तार लिए फिरती है

सय्यद हामिद

आँख जो इश्वा-ए-पुर-कार लिए फिरती है

सय्यद हामिद

जो डर अपनों से है ग़ैरों से वो डर हो नहीं सकता

सय्यद अमीन अशरफ़

ख़ैर उस से न सही ख़ुद से वफ़ा कर डालो

सुहैल अहमद ज़ैदी

मुझे तो मोहब्बत से इंकार होगा

सुभाष पाठक ज़िया

फ़सील-ए-दर्द को मैं मिस्मार करने वाली हूँ

सिया सचदेव

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