जफ़ा Poetry (page 12)

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

लरज़ लरज़ के न टूटें तो वो सितारे क्या

बाक़र मेहदी

दुश्मन-ए-जाँ कोई बना ही नहीं

बाक़र मेहदी

दर्द-ए-दिल आज भी है जोश-ए-वफ़ा आज भी है

बाक़र मेहदी

दिल को ले जी को अब लुभाते हो

बाक़र आगाह वेलोरी

कुफ़्र एक रंग-ए-क़ुदरत-ए-बे-इंतिहा में है

बहराम जी

ग़मगीं नहीं हूँ दहर में तो शाद भी नहीं

बहराम जी

बहस क्यूँ है काफ़िर-ओ-दीं-दार की

बहराम जी

वाक़िफ़ हैं हम कि हज़रत-ए-ग़म ऐसे शख़्स हैं

ज़फ़र

क्या कुछ न किया और हैं क्या कुछ नहीं करते

ज़फ़र

जब कभी दरिया में होते साया-अफ़गन आप हैं

ज़फ़र

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

ज़फ़र

शायद यही किताब-ए-मोहब्बत हो ला-जवाब

अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

लम्हों ने यूँ समेट लिया फ़ासला बहुत

अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं

अज़ीज़ वारसी

कंफ़ेशन

अज़ीज़ क़ैसी

तमीज़ अपने में ग़ैर में क्या तुम्हें जो अपना न कर सके हम

अज़ीज़ क़ैसी

ऐ दिल ये है ख़िलाफ़-ए-रस्म-ए-वफ़ा-परस्ती

अज़ीज़ लखनवी

उठाईं हिज्र की शब दिल ने आफ़तें क्या क्या

अज़ीज़ हैदराबादी

बढ़ गईं गुस्ताख़ियाँ मेरी सज़ा के साथ साथ

अज़ीज़ हैदराबादी

घुटी घुटी सी फ़ज़ा में शगुफ़्तगी तो मिली

औलाद अली रिज़वी

रौनक़-ए-बेश-ओ-कम किस के होने से है

अतहर नफ़ीस

हम भी बदल गए तिरी तर्ज़-ए-अदा के साथ साथ

अतहर नफ़ीस

आहंग-ए-नौ

असरार-उल-हक़ मजाज़

रह-ए-शौक़ से अब हटा चाहता हूँ

असरार-उल-हक़ मजाज़

कुछ तुझ को ख़बर है हम क्या क्या ऐ शोरिश-ए-दौराँ भूल गए

असरार-उल-हक़ मजाज़

दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं

असरार-उल-हक़ मजाज़

ज़िंदगी उलझी है बिखरे हुए गेसू की तरह

असरा रिज़वी

लुटी बहार का सूखा गुलाब रहने दो

असलम हबीब

मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है

असलम अंसारी

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