चलो Poetry (page 7)

जज़्बा-ए-इश्क़ भी है गर्मी-ए-बाज़ार भी है

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

तारे सारे रक़्स करेंगे चाँद ज़मीं पर उतरेगा

साजिद हाश्मी

हुस्न जल्वा दिखा गया अपना

सैफ़ुद्दीन सैफ़

बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं

सैफ़ुद्दीन सैफ़

क़दम है ऐन हुदूस और हुदूस ऐन क़दम

साहिर देहल्वी

कौनैन-ए-ऐन-ए-इल्म में है जल्वा-गाह-ए-हुस्न

साहिर देहल्वी

तिरे सिवा मिरी हस्ती कोई जहाँ में नहीं

साहिर देहल्वी

नूर-ए-ईमाँ सुर्मा-ए-चश्म-ए-दिल-ओ-जाँ कीजिए

साहिर देहल्वी

मस्त-ए-निगाह-ए-नाज़ का अरमाँ निकालिए

साहिर देहल्वी

कैफ़-ए-मस्ती में अजब जलवा-ए-यकताई था

साहिर देहल्वी

जो ला-मज़हब हो उस को मिल्लत-ओ-मशरब से क्या मतलब

साहिर देहल्वी

जसद ने जान से पूछा कि क़ल्ब-ए-बे-रिया क्या है

साहिर देहल्वी

फ़ज़ा-ए-आलम-ए-क़ुदसी में है नश्व-ओ-नुमा मेरी

साहिर देहल्वी

दिल को यकसूई ने दी तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ की सलाह

साहिर देहल्वी

दरमियान-ए-जिस्म-ओ-जाँ है इक अजब सूरत की आड़

साहिर देहल्वी

चमन में रह के भी क्यूँ दिल की वीरानी नहीं जाती

सहर महमूद

क़ाबील का साया

सहर अंसारी

इश्क़ क्या है ख़ुद-फ़रामोशी मुसलसल इज़्तिराब

सग़ीर अहमद सग़ीर अहसनी

नज़र नज़र बे-क़रार सी है नफ़स नफ़स में शरार सा है

साग़र सिद्दीक़ी

उल्टी गंगा

साग़र ख़य्यामी

ये किस के हुस्न की जल्वागरी है

सईद अख़्तर

तुझ से दामन-कशाँ नहीं हूँ मैं

सबा अकबराबादी

कसरत-ए-जल्वा को आईना-ए-वहदत समझो

सबा अकबराबादी

आईना बन जाइए जल्वा-असर हो जाइए

सबा अकबराबादी

सुना भी कभी माजरा दर्द-ओ-ग़म का किसी दिल-जले की ज़बानी कहो तो

साइल देहलवी

जताते रहते हैं ये हादसे ज़माने के

साइल देहलवी

आमद

रियाज़ लतीफ़

ये कहाँ से हम गए हैं कहाँ कहें क्या तिरी तग-ओ-ताज़ में

रियाज़ ख़ैराबादी

ये काफ़िर बुत जिन्हें दावा है दुनिया में ख़ुदाई का

रियाज़ ख़ैराबादी

तेज़ है पीने में हो जाएगी आसानी मुझे

रियाज़ ख़ैराबादी

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