चलो चलें Poetry (page 6)

ये कमरा और ये गर्द-ओ-ग़ुबार उस का है

यासमीन हबीब

लम्स-ए-तिश्ना-लबी से गुज़री है

यासमीन हबीब

ज़ख़्म मेरे दिल पे इक ऐसा लगा

यासीन अफ़ज़ाल

बाद-ए-नफ़रत फिर मोहब्बत को ज़बाँ दरकार है

याक़ूब आमिर

क्या हुआ हम से जो दुनिया बद-गुमाँ होने लगी

याक़ूब आमिर

यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में

यगाना चंगेज़ी

वाँ नक़ाब उट्ठी कि सुब्ह-ए-हश्र का मंज़र खुला

यगाना चंगेज़ी

दामन-ए-क़ातिल जो उड़ उड़ कर हवा देने लगे

यगाना चंगेज़ी

चले चलो जहाँ ले जाए वलवला दिल का

यगाना चंगेज़ी

अगर अपनी चश्म-ए-नम पर मुझे इख़्तियार होता

यगाना चंगेज़ी

आप में क्यूँकर रहे कोई ये सामाँ देख कर

यगाना चंगेज़ी

दिल है ग़िज़ा-ए-रंज जिगर है ग़िज़ा-ए-रंज

वज़ीर अली सबा लखनवी

अदू-ए-जाँ बुत-ए-बे-बाक निकला

वज़ीर अली सबा लखनवी

टीन का डिब्बा

वज़ीर आग़ा

वो जिन की लौ से हज़ारों चराग़ जलते थे

वासिफ़ देहलवी

क़दम यूँ बे-ख़तर हो कर न मय-ख़ाने में रख देना

वासिफ़ देहलवी

इज़्ज़त उन्हें मिली वही आख़िर बड़े रहे

वासिफ़ देहलवी

मुझ को दुनिया से बे-ख़बर कर दे

वसीम अकरम

वो ज़िम्मेदारी कितनी ख़ुशी से निभाई थी

वक़ार ख़ान

वो निगाह मिल के निगाह से ब-अदा-ए-ख़ास झिझक गई

वक़ार बिजनोरी

सुर्ख़ दामन में शफ़क़ के कोई तारा तो नहीं

वामिक़ जौनपुरी

इस तरह से कश्ती भी कोई पार लगे है

वामिक़ जौनपुरी

पहचाने तू हर-दम वही हर आन वही है

वलीउल्लाह मुहिब

जी चाहे का'बे जाओ जी चाहे बुत को पूजो

वलीउल्लाह मुहिब

हर आन यास बढ़नी हर दम उमीद घटनी

वलीउल्लाह मुहिब

हमारी चाह साहब जानते हैं

वलीउल्लाह मुहिब

ग़म-ए-जाँ तू है अगर राहत-ए-जाँ है तू है

वलीउल्लाह मुहिब

वक़्त बोसे के मिरा मुँह उस के लब से जूँ जुड़ा

वली उज़लत

तुझ से बोसा मैं न माँगा कभू डरते डरते

वली उज़लत

दिलों में रहिए जहाँ के वले ख़ुदा के ढब

वली उज़लत

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