जिगर Poetry (page 13)

बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक

इम्दाद इमाम असर

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

नफ़्स-ए-सरकश को क़त्ल कर ऐ दिल

इमदाद अली बहर

ईफ़ा-ए-व'अदा आप से ऐ यार हो चुका

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

हम आज-कल हैं नामा-नवीसी की ताव पर

इमदाद अली बहर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा

इमदाद अली बहर

आरास्तगी बड़ी जिला है

इमदाद अली बहर

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

नशात-ए-नौ की तलब है न ताज़ा ग़म का जिगर

इकराम आज़म

है ये शहर-ए-इश्क़ याँ आब-ओ-हवा कुछ और है

इफ़्फ़त अब्बास

इस हाल में जीते हो तो मर क्यूँ नहीं जाते

हुसैन ताज रिज़वी

ढली जो शाम नज़र से उतर गया सूरज

हुसैन ताज रिज़वी

वक़्त गर्दिश में ब-अंदाज़-ए-दिगर है कि जो था

हुरमतुल इकराम

नाला-ए-ग़म शो'ला-असर चाहिए

हिमायत अली शाएर

क्या क्या न ज़िंदगी के फ़साने रक़म हुए

हिमायत अली शाएर

क्या रश्क है कि एक का है एक मुद्दई

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

उस ज़ुल्फ़ के सौदे का ख़लल जाए तो अच्छा

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

कोई ले कर ख़बर नहीं आता

हातिम अली मेहर

ईज़ाएँ उठाए हुए दुख पाए हुए हैं

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

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