जिगर Poetry (page 27)

हम आज बज़्म-ए-रक़ीबाँ से सुर्ख़-रू आए

अख़लाक़ अहमद आहन

क्या कहूँ जज़्बात का तूफ़ान कितना तेज़ है

अकबर हैदरी

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा

अकबर इलाहाबादी

हंगामा क्यूँ बपा है ज़रा बाम पर से देख

आजिज़ मातवी

धड़कन धड़कन यादों की बारात अकेला कमरा

ऐतबार साजिद

बहुत सजाए थे आँखों में ख़्वाब मैं ने भी

ऐतबार साजिद

तू ही इंसाफ़ से कह जिस का ख़फ़ा यार रहे

ऐश देहलवी

फिरा किसी का इलाही किसी से यार न हो

ऐश देहलवी

न छोड़ी ग़म ने मिरे इक जिगर में ख़ून की बूँद

ऐश देहलवी

जो होता आह तिरी आह-ए-बे-असर में असर

ऐश देहलवी

यहाँ बग़ैर-फ़ुग़ाँ शब बसर नहीं होती

अहसन मारहरवी

कशिश-ए-हुस्न की ये अंजुमन-आराई है

अहसन मारहरवी

मक़ाम-ए-हिज्र कहीं इम्तिहाँ से ख़ाली है

अहमद निसार

ये क्या कि आशिक़ी में भी फ़िक्र-ए-ज़ियाँ रहे

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

कोई बतलाए कि क्या हैं यारो

अहमद राही

कई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए

अहमद मुश्ताक़

कहूँ किस से रात का माजरा नए मंज़रों पे निगाह थी

अहमद मुश्ताक़

ये कैसा ख़ूँ है कि बह रहा है न जम रहा है

अहमद महफ़ूज़

मैं बंद आँखों से कब तलक ये ग़ुबार देखूँ

अहमद महफ़ूज़

समझ के हूर बड़े नाज़ से लगाई चोट

अहमद हुसैन माइल

जुम्बिश में ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़

अहमद हुसैन माइल

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम

अहमद हुसैन माइल

आफ़्ताब आए चमक कर जो सर-ए-जाम-ए-शराब

अहमद हुसैन माइल

तसलसुल

अहमद फ़राज़

मयूरका

अहमद फ़राज़

ये शहर सेहर-ज़दा है सदा किसी की नहीं

अहमद फ़राज़

सब जल गया जलते हुए ख़्वाबों के असर से

अहमद अशफ़ाक़

उस ने किया है वादा-ए-फ़र्दा आने दो उस को आए तो

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

इस के घर से मेरे घर तक एक कहानी बीच में है

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

क्या कर रहे हो ज़ुल्म करो राह राह का

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

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