जिगर Poetry (page 14)

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

हसरत मोहानी

नज़्ज़ारा-ए-पैहम का सिला मेरे लिए है

हसरत मोहानी

ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की

हसरत मोहानी

कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ

हसरत मोहानी

हर हाल में रहा जो तिरा आसरा मुझे

हसरत मोहानी

घटेगा तेरे कूचे में वक़ार आहिस्ता आहिस्ता

हसरत मोहानी

वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश

हसरत अज़ीमाबादी

न छुटा हाथ से यक लहज़ा गरेबाँ मेरा

हसरत अज़ीमाबादी

कब तलक हम को न आवेगा नज़र देखें तो

हसरत अज़ीमाबादी

एक-दम ख़ुश्क मिरा दीदा-ए-तर है कि नहीं

हसरत अज़ीमाबादी

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

हसरत अज़ीमाबादी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए

हसन बरेलवी

तीसरी आँख

हसन अब्बास रज़ा

वो पेच-ओ-ख़म जहाँ की हर इक रहगुज़र में है

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

ऐ यास जो तू दिल में आई सब कुछ हुआ पर कुछ भी न हुआ

हक़ीर

रात ढलते ही सफ़ीरान-ए-क़मर आते हैं

हनीफ़ फ़ौक़

साज़ में सोज़ जब नहीं आता

हनीफ़ अख़गर

इस तरह मह-रुख़ों को पशेमाँ करेंगे हम

हनीफ़ अख़गर

मआल-ए-दिल के लिए आज यूँ ख़ुदी तरसे

हामिद मुख़्तार हामिद

मुझे रहीन-ए-ग़म-ए-जाँ-नवाज़ रहने दे

हमीद नागपुरी

हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़-ए-सर-ए-रहगुज़र है आज

हमीद नागपुरी

कुछ बात ही थी ऐसी कि थामे जिगर गए

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

अज़िय्यतों को किसी तरह कम न कर पाया

हकीम मंज़ूर

तेरी निगाह-ए-नाज़ जो नावक-असर न हो

हकीम असद अली ख़ान मुज़्तर

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

लख़्त-ए-जिगर को क्यूँकर मिज़्गान-ए-तर सँभाले

हैदर अली आतिश

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