जिगर Poetry (page 12)

पहले ये जिस्म जलाया जाए

रजनीश सचन

नासेहा फ़ाएदा क्या है तुझे बहकाने से

रजब अली बेग सुरूर

लाज़िम है सोज़-ए-इश्क़ का शोला अयाँ न हो

रजब अली बेग सुरूर

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

रजब अली बेग सुरूर

ये सास है कि शेर छुपा है नक़ाब में

राजा मेहदी अली ख़ाँ

एक चेहलुम पर

राजा मेहदी अली ख़ाँ

जब फ़राज़-ए-बाम पर वो जल्वा-गर होता नहीं

राज कुमार सूरी नदीम

हम गर्दिश-ए-दौराँ के सितम देख रहे हैं

राज कुमार सूरी नदीम

दिल छोड़ के हर राहगुज़र ढूँढ रहा हूँ

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

दिल है अपना न अब जिगर दर-पेश

रहमान जामी

दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं

राही शहाबी

बे-नाम सी ख़लिश कि जो दिल में जिगर में है

राही शहाबी

मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही

इरम ज़ेहरा

ज़िंदाँ-नसीब हूँ मिरे क़ाबू में सर नहीं

इक़बाल सुहैल

सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा

इक़बाल साजिद

काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से

इक़बाल कौसर

वो आ रहे हैं वो जा रहे हैं मिरे तसव्वुर पे छा रहे हैं

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

मुझ पर निगाह-ए-गर्दिश-ए-दौराँ नहीं रही

इक़बाल आबिदी

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

कौन सा ग़म है मिरे दिल में जो मेहमान नहीं

इन्तेसार हुसैन आबिदी शाहिद

याँ ज़ख़्मी-ए-निगाह के जीने पे हर्फ़ है

इंशा अल्लाह ख़ान

तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं

इंशा अल्लाह ख़ान

मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे

इंशा अल्लाह ख़ान

अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है

इंशा अल्लाह ख़ान

जिला

इंजिला हमेश

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

फिर आस-पास से दिल हो चला है मेरा उदास

इम्तियाज़ अली अर्शी

तुम्हारे आशिक़ों में बे-क़रारी क्या ही फैली है

इम्दाद इमाम असर

ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं

इम्दाद इमाम असर

दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता

इम्दाद इमाम असर

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