जुदा Poetry (page 16)

ख़ाक है मेरा बदन ख़ाक ही उस का होगा

फ़रहत एहसास

जिस तरह पैदा हुए उस से जुदा पैदा करो

फ़रहत एहसास

ज़िंदगी चुपके से इक बात कहा करती है

फ़रह इक़बाल

ज़बाँ मुद्दआ-आश्ना चाहता हूँ

फ़ानी बदायुनी

मोहताज-ए-अजल क्यूँ है ख़ुद अपनी क़ज़ा हो जा

फ़ानी बदायुनी

जब पुर्सिश-ए-हाल वो फ़रमाते हैं जानिए क्या हो जाता है

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

अपनी जन्नत मुझे दिखला न सका तू वाइज़

फ़ानी बदायुनी

तुम हो शरीक-ए-ग़म तो मुझे कोई ग़म नहीं

फ़ना बुलंदशहरी

अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

निसार मैं तेरी गलियों के

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इश्क़ की आज इंतिहा कर दो

फ़ैसल फेहमी

हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है

फ़ैसल अजमी

गिर जाए जो दीवार तो मातम नहीं करते

फ़ैसल अजमी

ना-सज़ा आलम-ए-इम्काँ में सज़ा लगता है

एजाज़ सिद्दीक़ी

उसे ये हक़ है कि वो मुझ से इख़्तिलाफ़ करे

एजाज़ रहमानी

दुश्मनों के दरमियान सुल्ह

एजाज़ गुल

ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के

एजाज़ गुल

फूलों से होगी धूल जुदा देखते रहो

एजाज़ अासिफ़

सोज़-ए-जुनूँ को दिल की ग़िज़ा कर दिया गया

एहसान दानिश

विर्सा

दाऊद ग़ाज़ी

फ़रियाद सदा-ए-नफ़स आवाज़-ए-जरस है

दाऊद औरंगाबादी

चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं

दर्शन सिंह

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

दर्शन सिंह

एक सब आग एक सब पानी

दानियाल तरीर

शहर से क्या गई जानिब-ए-दश्त-ए-ज़र ज़िंदगी फ़ाख़्ता

दानियाल तरीर

पानी के शीशों में रक्खी जाती है

दानियाल तरीर

ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए

दाग़ देहलवी

काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है

दाग़ देहलवी

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